नवजात बच्चे की देखभाल
- जन्म के तुरंत बाद बच्चे की देखभाल आवश्यक है। उसके लिए निम्नलिखित बातें ध्यान में रखनी चाहिए।
- जन्म के तुरंत बाद बच्चे के ऊपर की जेर/झिल्ली हटा दें तथा नाक व मुंह साफ करें।
- यदि सांस लेने में दिक्कत हो रही है तो छाती मलें तथा बच्चे की पिछली टांगें पकड़ कर उल्टा लटकाएं।
- बच्चे की नाभि को तीन-चार अंगुली नीचे पास-पास दो स्थानों पर सावधानी से मजबूत धागे से बांधे | अब नये ब्लेड या साफ कैंची से दोनों बंधी हुर्इ जगहों के बीच नाभि को काट दें। इसके बाद कटी हुर्इ नाभि पर टिंचर आयोडीन लगा दें।
- बच्चे को भैंस के सामने रखें तथा उसे चाटने दें। बच्चे को चाटने से बच्चे की त्वचा जल्दी सूख जाती है, जिससे बच्चे का तापमान नहीं गिरता, त्वचा साफ हो जाती है, शरीर में खून दौड़ने लगता है तथा माँ और बच्चे का बंधन पनपता है। इससे माँ को कुछ लवण और प्रोटीन भी प्राप्त हो जाती है।
- यदि भैंस बच्चे को नहीं चाटती है तो किसी साफ तौलिए से बच्चे की रगड़ कर सफार्इ कर दें।
नवजात बच्चे को जन्म के 1-2 घंटे के अंदर खीस अवश्य पिलाऐ
- जन्म के1-2 घंटे के अंदर बच्चे को खीस अवश्य पिलाएं। इसके लिए जेर गिरने का इंतजार बिल्कुल न करें। एक -दो घंटे के अंदर पिलाया हुआ खीस बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास करता है, जिससे बच्चे को खतरनाक बीमारियों से लड़ने की शक्ति मिलती है।
- बच्चे को उसके वजन का 10 प्रतिशत दूध पिलाना चाहिए। उदाहरण के लिए आमतौर पर नवजात बच्चा 30 कि0ग्रा0 का होता है। वजन के अनुसार उसे 3 कि0ग्रा0 दूध(1.5 कि0ग्रा0 सुबह व 1.5 कि0ग्रा0 शाम) पिलाएं।
- यह ध्यान जरूर रखें कि पहला दूध पीने के बाद बच्चा लगभग दो घंटे के अंदर मल त्याग कर दे।
- बच्चे को अधिक गर्मी व सर्दी से बचाकर साफ जगह पर रखें।
- भैंस के बच्चे को जूण के लिए दवार्इ (कृमिनाशक दवा) 10 दिन की उम्र पर जरूर पिला दें। यह दवा 21 दिन बाद दोबारा पिलानी चाहिये।
नवजात बच्चे को 10 दिन की उम्र पर कृमिनाशक दवा पिलाऐं