किसानों-के-लिए

हमारे देश की आबादी के अनुपात में कृषि योग्य भूमि घटती जा रही है और ऐसी परिस्थितियों में पशुपालन को एक व्यवसाय के रूप में अपना कर किसान कृषि उत्पादन पर अपनी निर्भरता कम कर सकते हैं। बैंकों व अन्य सरकारी प्रतिष्ठानों द्वारा वित्त्ाीय सहायता उपलब्ध कराने व पशु बीमा योजनाओं के शुरू होने से शिक्षित युवा वर्ग्ा एवं खेतिहर मजदूर पशुपालन को व्यवसाय के रूप में अपनाने लगे हैं। इससे किसानों की आमदनी बढ़ने के साथ-साथ उनके परिवार के सदस्यों तथा खेतिहर मजदूरों को पूरे वर्ष रोजगार उपलब्ध हो सकेगा।

 

भैंस हमारा अपना पशु है और दूधारू पशुओं में इसके आर्थिक महत्व को देखते हुए यह अति आवश्यक है कि पशु पालकों को इसके बारे में अधिक से अधिक ज्ञान कराया जाये। इसी बात को ध्यान में रखते हुए केंद्रीय भैंस अनुसंधान संस्थान ने बुफ्फलोपेडिआ(किसानों के लिए) की रचना की ताकि भैंस पालन से संबंधित सभी पहलुओं को आम बोलचाल की सरल भाषा में प्रस्तुत किया जा सके। भैंसों से अधिक उत्पादन के लिए, संतुलित एवं पौष्टिक आहार उपलब्ध कराना अत्यंत आवश्यक है। इसलिए भैंस पोषण एवं कमी के समय चारा प्रबन्धन तथा चारा संरक्षण विषयों के विभिन्न पहलुओं पर भी प्रकाश डाला गया है। भैंस पालन कैसे लाभकारी हो उसके लिए भैंस पालक को भैंसों के प्रबन्ध व देखभाल का ज्ञान होना जरूरी है। इसलिए भैंस प्रबन्धन, जनन तथा अन्य समस्याओं, भैंसों में होने वाले विभिन्न रोग व उनका निदान आदि का विवेचन किया गया है।